सुकून | Sukoon
हॉरर उपन्यास
यदि आप को हॉरर उपन्यास पढ़ना अच्छा लगता हैं। तो विक्रांत शुक्ला (Vikrant-Shukla) का सुकून (Sukoon) उपन्यास जरुर पढ़े अच्छा लगेगा। उपन्यास मे जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, पिशाचिनी, कब्रिस्तान यानी डर उत्पन्न करने वाला बहुत कुछ है। उपन्यास में रहस्य है जो पाठक को अंतिम पेज तक बांधे रखता है, और उपन्यास के अंत तक आते-आते पाठक को आश्चर्यचकित कर देता हैं।
सुकून (Sukoon) उपन्यास की कहानी के शुरू के कुछ पेज पढने से लगता है, कि उपन्यास की कहानी एक पारिवारिक गृहक्लेश से जुडी हुई है। किन्तु कुछ पेज और पढने पर कहानी नया मोड़ लेती है और हॉरर हो जाती हैं ।
कहानी का नायक हैं दुष्यंत जो अपनी जिन्दगी में सुकून की तलाश करता रहता है, और एक दिन थक कर अपनी जिन्दगी ख़त्म करने ही जा रहा था । कि उसी समय उसके बचपन के दोस्त देव जो एक अभिनेता है, जिससे बो कुछ बात करता है, और अपनी जिन्दगी खत्म करने का निर्णय त्याग कर देव से मिलने देहरादून चला जाता है ।
देव की माने तो देव के घर में भूतो का वास है जिनसे वह और उसकी पत्नी परेशान कर रखा हैं । जिसके के लिए देव दुष्यंत से मदद की गुहार लगता है । दुष्यंत भी देव से वादा करता है, कि वह भूतो से छुटकारा दिलाने मे अपने जान भी दाव पर लगा देगा ।
आखिर में देव, दुष्यंत के साथ वह करता है, जिसकी उम्मीद न तो दुष्यंत को थी और न ही पाठकों को, देव, दुष्यंत का पिशाचिनी को भोग लगा देता है। और दुष्यत जिन्दगी भर जिस सुकून को खोजता रहा वो उसको मिल जाता है।
Book Details
किताब | : | सुकून (Sukoon) |
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लेखक | : | विक्रांत शुक्ला (Vikrant-Shukla) |
पब्लिशर | : | Redgrab books |
आई एस बी एन (ISBN) | : | 978-9387390294 |
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