मैगस्थनीज यूनानी था, जिसे यूनानी शासक सेल्यूकस ने अपना दूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
मैगस्थनीज 302 ई.पू. से 298 ई.पू. तक मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में रहा।
मैगस्थनीज (Megasthenes) द्वारा लिखी गई पुस्तक इंडिका है।
मैगस्थनीज़ ने 'इण्डिका' में भारतीय जीवन, परम्पराओं, रीति-रिवाजों का वर्णन किया है।
मैगस्थनीज़ को अपने समय का एक बेहतरीन विदेशी यात्री और यूनानी भूगोलविद माना जाता था।
भारत में राजदूत नियुक्त होने से पूर्व मैगस्थनीज़ 'एराक्रोशिया' के क्षत्रप 'सिबाइर्टिओस' के यहां अधिकारी के पद पर कार्यरत था।
मैगस्थनीज़ ने गंगा नदी एवं सिंधु नदी का ज़िक्र अपने ग्रंथ में किया है, और साथ ही भारतीय नदियों की कुल संख्या 58 बतायी है।
मैगस्थनीज़ ने 'सिलास' नामक एक ऐसी नदी का उल्लेख किया है, जिसमें कुछ भी तैर नहीं सकता था।
मैगस्थनीज़ ने भारत से प्राप्त होने वाली खनिज सम्पदा में सोना, चांदी, ताँबा एवं टिन की वर्णन है।
मैगस्थनीज़ पशुओं में भारतीय हाथी से काफ़ी प्रभावित था।
मैगस्थनीज (Megasthenes) ने भारतीय समाज को सात वर्गों में बांटा है-
1. ब्राह्मण एवं दार्शनिक- इनकी संख्या अल्प थी।
2. कृषक- इनकी संख्या सर्वाधिक थी।
3. पशुपालक एवं आखेटक- इनका जीवन भ्रमणशील था।
4. व्यापारी, मज़दूर एवं कारीगर
5. योद्धा व सैनिक- संख्या की दृष्टि से कृषकों के बाद दूसरे स्थान पर।
6. निरीक्षक एवं गुप्तचर
7. मंत्री एवं परामर्शदाता- ये संख्या में सबसे अल्प थे, पर अधिकार में सबसे आगे थे।
मैगस्थनीज़ के अनुसार मौर्य काल में बहुविवाह प्रथा का प्रचलन था।
शिक्षा व्यवस्था ब्राह्मण करते थे।
दास प्रथा का प्रचलन नहीं था। मैगस्थनीज़ ने भारतीय लोगों की ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि चोरी प्रायः नहीं होती थी।
मेगस्थनीच ने भारतवासियों की धार्मिक भावना पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि, "यहाँ के लोग 'डायोनियस' (शिव) और 'हेराक्लीज' (कृष्ण) की उपासना करते थे"।
मेगस्थनीच ने अपनी पुस्तक में पाटलीपुत्र को सबसे बङा नगर बताया है। उसने पाटलिपुत्र को 'पालिब्रोथा' नाम से सम्बोधित किया है।