बौद्ध से जुड़े प्रमुख स्थल
Buddhist Places in India

One line Question & Answer in Hindi


लुम्बिनी: लुम्बिनी में भगवान् बुद्ध का जन्म हुआ था. इस स्थान की आधुनिक स्थिति रुम्मिनदेयी है जो नेपाल में स्थित है. अशोक का स्तम्भ यहाँ विद्यमान है.
बोधगया : बोधगया में बुद्ध ने सम्यक सम्बोधि प्राप्त की थी.
सारनाथ :
* सारनाथ में बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया.
* यह धर्म चक्र प्रवर्तन का स्थान है.
* सारनाथ में अशोक ने यहाँ कई स्मारक स्थापित किये जिनमें प्रसिद्ध अशोक-स्तम्भ स्थति हैं.
* पाँचवी शताब्दी में फाहियान ने इस स्थान की यात्रा की और इसके विषय में महत्त्वपूर्ण विवरण दिया हैं.
* सातवीं शताब्दी में युआन-च्वांग ने सारनाथ की यात्रा की और महत्त्वपूर्ण विवरण दिया हैं.
* बारहवीं शताब्दी में कन्नौज के राजा गोविन्द चंदगाहड़वाल की रानी कुमारदेवी ने एक विहार बुद्ध के धर्मचक्रप्रवर्तन के स्मारक के रूप में निर्माण कराया था.
संकाश्य : वर्तमान में संकाश्य का नाम संकिसा-बसतपुर है, जो फर्रुखाबाद जिला, उत्तर प्रदेश में है. यहाँ भगवान् बुद्ध त्रयस्त्रिंश लोक से उतरे थे.
श्रावस्ती : श्रावस्ती प्राचीन कोसल देश की राजधानी थी. श्रावस्ती के प्रसिद्ध सेठ अनाथपिंडिक ने यहाँ बुद्ध और भिक्षु संघ के निवास के लिए प्रसिद्ध जेतवन विहार बनवाया था.
कुशीनगर :
* कुशीनगर के शाल-वन में बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया था. वर्तमान में इस की पहचान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित कसिया नामक स्थान से की गई है.
* फाहियान और युआन-च्वांग ने कुशीनगर का उल्लेख उजड़ी हुई अवस्था के रूप मे किया है.
* कुशीनगर में स्थिति परिनिर्वाण चैत्य गुप्तकाल में निर्मित किया गया था.
* कुशीनगर में अशोक ने भी यहाँ एक स्तूप बनवाया था.
* कुशीनगर में रामाभार नामक स्थान पर बुद्ध का दाह-संस्कार किया गया था.
राजगृह :
* राजगृह आधुनिक नाम राजगीर है जो पटना जिले, बिहार में स्थित है.
* राजगृह मगध राज्य की राजधानी था जिसका बौद्धों के लिए अनेक दृष्टियों में महत्त्व है.
* राजगृह में भगवान् बुद्ध ने अनेक बार वर्षावास किया और यहीं देवदत्त ने उनकी जान लेने का भी प्रयत्न किया.
* राजगृह नगर के वैभार पर्वत की सप्तपर्णी (सत्तपण्णी) गुफा में भगवान् बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद प्रथम बौद्ध संगीति हुई.
वैशाली :
* वैशाली लिच्छवियों की राजधानी थी.
* वैशाली का आधुनिक नाम बसाढ़ है, जो जिला मुजफ्फरपुर, बिहार में है.
* वैशाली प्रारम्भिक युग में बौद्धों का एक प्रधान केंद्र थी.
* वैशाली बुद्ध अपने जीवन काल में तीन बार गये. यहीं भगवान् बुद्ध ने यह घोषणा की थी कि तीन महीने बाद वे महापरिनिर्वाण में प्रवेश करेंगे.
* बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद लिच्छवियों ने उनके धातुओं में से प्राप्त अपने भाग पर वैशाली में एक स्तूप का निर्माण किया था.
* वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति हुई थी.
तक्षशिला : तक्षशिला आधुनिक पश्चिमी पाकिस्तान में है. भगवान् बुद्ध के जीवन काल में यह एक प्रसिद्ध स्थान था, जहाँ दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे.
कौशाम्बी : कौशाम्बी भगवान् बुद्ध के जीवन काल में वत्स-राज्य की राजधानी थी. कौशाम्बी में प्रसिद्ध घोषिताराम विहार था. कौशाम्बी वर्तमान मे इलाहाबाद जिले में यमुना नदी के किनारे कोसम गाँव था.
साँची :
* साँची का सम्बन्ध गौतम बुद्ध के जीवन से नहीं है और न ही साँची का उल्लेख प्राचीन बौद्ध साहित्य में हुआ है.
* चीनी यात्रियों ने भी साँची के सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा है.
* प्रारम्भिक बौद्ध कला की सर्वोत्तम निधियाँ हमें साँची में ही मिलती हैं.
* साँची के स्मारकों का आरम्भ अशोक के युग से हुआ.
* साँची के बड़े स्तूप का व्यास 30.5 मीटर है.
* अशोक द्वारा की गई बोधगया की यात्रा का एक शिल्पांकन साँची के बड़े स्तूप में पाया जाता है.
नालंदा :
* नालंदा का आधुनिक नाम बड़गाँव है जो राजगीर के समीप स्थित है.
* नालंदा उत्तरकालीन बौद्ध धर्म के इतिहास में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बन गया.
* भगवान् बुद्ध ने इस स्थान की अनेक बार यात्रा की थी.
* युआन-च्वांग ने कुछ समय नालंदा महाविहार में रहकर अध्ययन किया और उसने इस विहार का विस्तृत वर्णन किया है.
* नालंदा शिक्षा-केंद्र के रूप में वह सम्पूर्ण बौद्ध जगत में प्रसिद्ध था.
* चीनी यात्री इ-त्सिंग ने भी नालंदा के भिक्षुओं के जीवन का वर्णन किया है.
* तारानाथ के अनुसार आचार्य शीलभद्र, नागार्जुन, सुविष्णु, आर्यदेव, दीनाग्गा, धर्मपाल, असंग, वसुबन्धु जैसे आचार्यों ने नालंदा को सुशोभित किया है.
धांक : पोरबन्दर के समीप धांक नामक स्थान है जहाँ चार गुफाएँ पाई गई हैं. इनमें अनेक उत्तरकालीन पौराणिक मूर्तियाँ हैं. मुजुश्री के नाम पर एक कुआँ भी है.
पीतलखोरा : पीतलखोरा की बौद्ध गुफाओं में सात विचित्र अभिलेख मिले हैं जिनमें कुछ भिक्षुओं के नाम भी अंकित हैं.
भाजा : भाजा में द्वितीय शतबदी ई.पू. का प्राचीनतम बौद्ध चैत्य भवन पाया जाता है.
अजन्ता : अजन्ता में विभिन्न आकार की 29 गुफाएँ हैं. इनके भित्ति-चित्र भारत की ही नहीं, विश्व की अन्यतम कलाकृतियों में हैं.
वल्लभी :
* वल्लभी छठी शताब्दी ई. के बाद बौद्ध धर्म का केंद्र हो गई थी.
* सन् 640 ई. में युआन-च्वांग ने इसकी यात्रा की. उस समय यहाँ 100 विहार थे जिनमें साम्मितीय सम्प्रदाय के 6,000 भिक्षु रहते थे.
* विद्या केंद्र के रूप में वल्लभी की ख्याति केवल नालंदा के बाद थी और स्थिरमति और गुणमति जैसे प्रख्यात आचार्य यहाँ निवास करते थे.
* सातवीं और आठवीं शताब्दी ई. के ताम्रपत्र अभिलेखों से ज्ञात होता है कि वल्लभी के मैत्रक शासकों ने पन्द्रह बौद्ध विहारों की भूमि दान की थी.
कान्हेरी : कान्हेरी में प्राचीन काल में एक विशाल बौद्ध संघाराम था. यहाँ एक सौ से अधिक बौद्ध गुफाएँ पाई गई हैं जिनका काल दूसरी शत्बादी ई. से लेकर आज तक है.
अमरावती :
* अमरावती आंध्र राज्य में सबसे महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थान यही है.
* अमरावती का स्तूप विशालतम और प्रसिद्धतम है.
* बुद्ध के जीवन के अनेक चित्र इसकी पाषाण वेष्टनियों पर अंकित किये गये हैं.
* कलात्मक सौदर्य और विशालता में अमरावती के स्तूप की तुलना में उत्तर के साँची और भरहुत के स्तूपों से की जा सकती है.
काँची :
* काँची में एक राज-विहार और सौ अन्य बौद्ध विहार थे. * काँची के समीप पाँच बुद्ध की मूर्तियाँ मिली हैं.
* युआन-च्वांग ने भी काँची के धर्मपाल नामक एक प्रसिद्ध आचार्य का उल्लेख किया है जो नालंदा में शिक्षक हुआ करते थे.
* चौदहवीं शताब्दी ई. तक कांचीपुरम बौद्ध धर्म का एक केंद्र बना रहा.