महात्मा बुद्ध के प्रमुख समकालीन लोग

One line Question & Answer in Hindi


आनंद : आनंद गोतम बुद्ध का चहेरा भाई या, वह बुद्ध के पास अनिरुद्ध और उपालि के साथ आया और शिष्य हुआ था. यह बड़ा स्मृतिमान और बुद्ध का परम प्रिय शिष्य था। उनके परिनिर्वाण प्राप्त होने पर यही त्रिपिटक का संग्रहकार हुआ, आनंद परिनिर्वाण गंगा के मध्य वैशाली की सीमा पर पाटलिपुत्र से एक योजन उत्तर हुआ था. इसने अपना शरीर योगाग्नि में भस्म कर डाला और इसके शरीर के भस्म को अज्ञातशत्रु और लिच्छवी लोगों ने लेकर आधे-आधे बांटकर अपने-अपने देशों के स्तूप बनवाकर उसमें रखा. आनंद ने ही स्त्रियों को प्रव्रज्या देने के लिए बुद्ध से प्रार्थना की थी।
सारिपुत्र : सारिपुत्र बुद्ध के एक शिष्य था. यह उपतिष्य ग्राम निवासी वंकत नामक ब्राह्मण का पुत्र था. बुद्ध जीवनकाल में ही सारिपुत्र परिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।
महामौदगलायन : यह राजगृह के पास कोलित ग्राम का रहने वाला सुजात नामक ब्राह्मण का पुत्र था. यह सारिपुत्र के साथ राजगृह में बुद्ध का शिष्य हुआ था. पहले यह संजय परिव्राजक का अतेवासी था. यह शतपर्ण के प्रथम धर्मसंघ में महाकश्यप के त्रिपिटक के संग्रह में सम्मिलित था।
सुनीति : सुनीति बुद्ध के एक शिष्य था, जों जन्म से भंगी था.
अनिरुद्ध : अनिरुद्ध गौतम बुद्ध का चचेरा भाई तथा अमृतोदन का पुत्र था. जब बुद्ध कपिलवस्तु जाकर वहाँ से चलने लगे तो आनंद भद्रिय किमिल, भगु और देवदत्त के साथ नापति उपालि को लेकर अनिरुद्ध प्रव्रज्या ग्रहण करने की इच्छा से उनके पास आया था. महात्मा बुद्ध ने सबसे पहले उपालि को अपना शिष्य बनाया, फिर अन्य राजकुमारों को दीक्षा दी. अनिरुद्ध दिव्यचक्षु हो गया था. बुद्ध के त्रयस्त्रिंश धाम जाने पर इसी ने उन्हें अपने दिव्य चक्षु से वहाँ देख आनंद को उनके पास भेजा था।
प्रसेनजीत : प्रसेनजीत कोशल के राजा और बुद्ध के शिष्य थें।
बिम्बिसार : बिम्बिसार मगध के राजा और महात्मा बुद्ध के प्रबल प्रशंसकों में से थे. इनकी राजकीय सहायता से महात्मा बुद्ध को अपने धर्म प्रचार में काफी सहायता मिली. बुद्ध ने गृहत्याग करने के बाद जब राजगृह में प्रवेश किया तो बिम्बिसार ने उनका स्वागत किया. सम्बोधि उपलब्ध होने के बाद अनेक भिक्षुओं के साथ बुद्ध ने जब राजगृह में प्रवेश किया तो बिम्बिसार ने उनका अभिनन्दन करके भिक्षु संघ को वेणु वन उद्यान दान में दिया.
अंगुलिमाल : अंगुलिमाल श्रावस्ती के राजा प्रसेनजित के पुरोहित का पुत्र, प्रचंड तांत्रिक और क्रूर, तांत्रिक प्रयोग हेतु तर्जनी अंगुली की माला पहनने के कारण अंगुलिमाल के नाम से प्रसिद्ध था. जंगल में बुद्ध भिक्षा के उद्देश्य से गुजरने के समय अंगुलिमाल से भेंट हुई.
आम्रपाली : आम्रपाली वैशाली और राजगृह में निवास करती थी. बुद्ध के वैशाली यात्रा के समय उसने उन्हें संघ सहित अपने घर आमंत्रित किया और अपने आम के बगीचे को यथाविधि भिक्षु संघ के वास के निमित्त दान दिया. बुद्ध के उपदेश से आम्रपाली ज्ञान लाभ कर अर्हतपद को प्राप्त हुई.
उपालि: उपालि बुद्ध का शिष्य, बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में महाकश्यप के अध्यक्षता में आयोजित प्रथम बौद्ध संगती में विनयपिटक का प्रवक्ता था. बुद्ध ने अपने जीवनकाल में राजपुत्रों को भी उपालि के समक्ष प्रणिपात की आज्ञा दी.
कौडिन्य : कौडिन्य पंचवर्गी भिक्षुओं में से एक.
छंदक : छंदक बुद्ध का सारथि था यह बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण के समय कन्थक को लेकर उनके साथ रात में गया था और मल्लों के राज्य के अनोमा नदी के तट पर बुद्ध ने उसे कन्थक और चंडक के समक्ष अपने प्रव्रज्या की घोषणा की और सांत्वना देकर कपिलवस्तु वापस भेजा.
जीवक : जीवक सालावती का पुत्र. तक्षशिला विश्वविद्यालय का स्नातक, व बाल रोग का विशेषज्ञ था. बुद्ध के प्रति समर्पित था. सात वर्ष तक उसने तक्षशिला में आयुर्वेद का अध्ययन किया. जीवक को राजा बिम्बिसार ने उसे अपना राजवैद्य और बुद्ध एवं संघ का वैद्य नियुक्त किया.
नन्द : नन्द बुद्ध का सौतेला भाई था, जिसे बुद्ध ने कपिलवस्तु में आकर उसे अपना शिष्य बना लिया था.
आलार कलाम : आलार कलाम, बुद्ध के प्रथम गुरु थे ./td>
उद्दक रामपुत्त : उद्दक रामपुत्त बुद्ध के गुरु थे.
महाकश्यप : महाकश्यप बुद्ध के एक प्रधान शिष्य था. यह राजगृह के पास महातीर्थ नामक गाँव का रहने वाला था. इसके पिता का नाम कपिल था. इसका पूर्व नाम पिप्पल था. यह बहुत ही विद्वान् था. इसे बुद्ध ने अपने तीसरे चातुर्मास्य में राजगृह में प्रव्रज्या ग्रहण कराई थी.
महाप्रजापति : महाप्रजापति बुद्ध की माँ महामाया की बहन थीं. इन्होंने ने ही बुद्ध का पालन-पोषण किया था. महाराज शुद्धोदन के देहांत हो जाने पर वह प्रव्रत्या ग्रहण करने के लिए बुद्ध के पास गई. बुद्ध ने स्त्रियों को प्रव्रज्या देने से इनकार किया पर जब आनंद ने अनुरोध किया तो उन्होंने उसे प्रव्रज्या ग्रहण कराई थी. इनका एक ही पुत्र नन्द था जिसे बुद्ध कपिलवस्तु में जाकर शुद्धोदन के जीवनकाल में ही प्रव्रज्या देकर साथ ले आये थे.
मुलिचंद : मुलिचंद एक नाग का नाम था. यह गया के पास एक हृद में रहता था. बुद्ध बोधि ज्ञान प्राप्त कर जब हृद के पास गये तो सात दिन तक मूसलाधार वर्षा हुई थी. उस समय इस नाग ने बुद्ध को अपने फन से सात दिन तक वर्षा से बचा रखा था.
राहुल : राहुल गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम. इसे बुद्ध ने कपिलवस्तु पहुंचकर सारिपुत्र से प्रव्रज्या दिलवाई थी. यह वैभाषिक नामक दर्शन का आचार्य था. यह श्रामनेरों का अग्रगण्य और पूज्य माना जाता है.
कौडिन्य : कौडिन्य पंचवर्गी भिक्षुओं में से एक.
कौडिन्य : कौडिन्य पंचवर्गी भिक्षुओं में से एक.
विशाखा : विशाखा बुद्ध के लिए एक पूर्वाराम नाम का विहार बनवाया था,यह बड़ी दानशील थी.
सुदत्त : सुदत्त को अनाथ पिन्डक भी कहते थे. यह श्रावस्ती का एक धनाढ्य सेठ था. इसने श्रावस्ती में जेतवन विहार बनवाया था.
सुभद्र : सुभद्र बुद्ध के निर्वाणकाल में कुशीनगर में गया और उनका अंतिम शिष्य हुआ था
अश्वजीत, महानाम, वाप्प, भदीय, कौण्डिय : बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य जिन्हें बुद्ध ने प्रथमतः दीक्षित किया जो धर्म चक्र प्रवर्तन कहलाता है.