राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) : प्रत्येक देश की सरकार अपने देश के लिए एक राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) स्थापित करती है, या किसी एक पुस्तकालय को राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) घोषित करती है । इनका मुख्य उद्देश्य देश की अधिक से अधिक बौद्धिक धरोहर को सुरक्षित तरीके से एकत्रित करना है, जिससे कि आने वाली पीढियों को आवश्यकता के समय उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सके। राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) अधिकतर देशो की राजधानी मे स्थति होते है, लगभग सभी देशो में यह कानून बनाया जा चुका है कि देश के प्रत्येक प्रकाशक को प्रकाशित साहित्य की एक प्रति राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) को देनी होगी। ऐसी प्रतियों को डिपोजिट (Deposit) प्रतियाँ कहा जाता है। फ़्रांस ऐसा पहला देश है, जहाँ सर्वप्रथम 1795 मे पुस्तकालय को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया गया और देश मुद्रित सभी प्रकाशनों की डिपोजिट (Deposit) प्रतियाँ प्राप्त करने का अधिकार दिया गया ।
डॉ एस आर रंगनाथन (Dr. Ranganathan) के अनुसार :-
“वह पुस्तकालयजिसका दायित्व जनता के उपयोग के लिए देश की लिखित कृतियों का संग्रह और संरक्षण करना हैं”, राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) है ।
जी. चेन्डलीयर (G. Chandlier) के अनुसार :-
“जहाँ जन पुस्तकालय समस्त स्थानीय समुदाय की सेवा करता हैं और शेक्षणिक शेक्षणिक पुस्तकालय शिक्षको और छात्रों के
उपयोग के लिए स्थापित किये जाते हैं, राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) का प्रावधान समूचे राष्ट्र की सूचियों को सन्तुष्ट करने के लिए किया जाता हैं । ”
हेरोड्स लाब्ररियंस ग्लोसरी एण्ड रेफरेंस बुक (Harrod’s Librarians’ Glossary at Reference Book) के अनुसार :-
राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) वह पुस्तकालय है जो
* सरकारी कोष द्वारा संपोषित हो ।
* सम्पूर्ण राष्ट्र की सेवा में संलग्न हो ।
* जिसमे रखी हुई पुस्तकें सामान्यतया केवल सन्दर्भ के लिए उपलब्ध हो ।
* सामान्यतया एक प्रतिलिप्यधिकार – संपंन्न पुस्तकालय हो ।
* अपने देश में प्रकाशित पुस्तकों, पत्रिकाओ , समाचार पत्रों तथा प्रलेखो का सुदीर्ध काल तक परिरक्षण करने का कार्य हो ।
* जो अन्य देशो में प्रकाशित प्रतिनिधि साहित्य का भी क्रय करता हो ।
यूनेस्को (UNESCO) के अनुसार :-
यूनेस्को के 16 वें अधिवेशन के प्रलेखों मे राष्ट्रीय पुस्तकालय (National Library) को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है :-
* अपने देश मे प्रकाशित समस्त महत्वपूर्ण प्रकाशनों की प्राप्ति और संरक्षण के लिए उत्तरदायी हो ।
* विधि या किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत निक्षेपण- पुस्तकालय के रूप में कार्य कर रहे हो ।
* राष्ट्रीय ग्रन्थसूची तैयार करते हो ।
* विदेशो में प्रकाशित प्रतिनिधि साहित्य तथा अपने देश के ऊपर प्रकाशित पुस्तकों के वृहद – संग्रह का निर्माण कर उसे अपडेट रखना ।
* राष्ट्रीय ग्रंथात्मक सूचना सेवा के रूप में कार्य करना।
* संघ – प्रसुचियाँ बनाना ।
* कालातीत ग्रन्थसूचीयां प्रकाशित करना ।
राष्ट्रीय पुस्तकालय के मुख्य कार्य निम्न प्रकार है :-
प्रलेख – संग्रह निर्माण और संरक्षण संबंधी कार्य :
* कानूनी निक्षेपण, उपहार तथा विनमय द्वारा देश में प्रकाशित साहित्य के एक केन्द्रीय और विस्तृत संग्रह का निर्माण करना ।
* अपने देश के ऊपर किसी भी भाषा या रूप मे विदेशो मे प्रकाशित साहित्य का अधिग्रहण करना ।
* चयनित हस्त-लिखित ग्रंथो तथा राष्ट्रीय प्रासंगिकता और महत्व के पुरालेखन अभिलेखित अभिलेखों का संग्रह तथा परिरक्षण करना ।
* विदेशो में प्रकाशित ऐसे प्रलेखो का संग्रहण करना जिनकी अपने देश मे मांग हो सकती है ।
* यदि कोई अन्य संस्था इस कार्य मे संलग्न न हो तो, विशेष कोटि की सामिग्री का संग्रह करना, जैसे : द्रष्टिहीनोके लिए पुस्तके, नाटक-साहित्य, पदक, संगीत-संयोजन, चल-चित्रक फिल्में, छाया-चित्र, ध्वनि रिकार्ड आदि ।
प्रसार कार्य :
* मुद्रित, माइक्रोफार्म तथा कम्प्यूटर पठनीय रूप में पुस्तकालय प्रसूचीयां तैयार करना ।
* अनुरोध होने पर या पूर्वानुमान के आधार पर, पूर्व-प्रभावी या कालातीत और सांप्रतिक या सामयिक ग्रन्थसूचियाँ तैयार करना ।
* राष्ट्रीय अभिरुचि के बिषयो से संबंधित सामयिक साहित्य के सार तैयार करना एव जारी करना ।
राष्ट्रीय ग्रन्थसूचियाँ :
पुस्तको और पत्रिकाओ तथा अन-मुद्रित सामग्रियों की ग्रन्थसूची को, मुद्रित, माइक्रो-रूप या कम्प्यूटर पठनीय रूप में तैयार करना भी राष्ट्रीय पुस्तकालय का कार्य हैं । ऐसी ग्रन्थसूची में सम्मिलित सूचनाओं के
आधार पर प्रकाशको और लब्ध-प्रतिष्ठित लेखको की निर्देशिकाए तथा पुस्तक उत्पादन संबंधी एवं प्रलेखो से संबंधित अन्य प्रकार की सांखियकी भी तैयार की जा सकती हैं । इन्हें राष्ट्रीय ग्रन्थसूची का उप-प्रकाश माना जाता है ।
पाठकीय सेवाएँ :
पाठकीय सेवाएँ : राष्ट्रीय पुस्तकालयों द्वारा पाठको के लिए दी जाने वाली सेवाओ के अंतर्गत निम्नलिखित सुविधाओ/गतिविधियों की चर्चा की जा सकती हैं :-
* पुस्तकालय परिसर में पठन की सुविधा तथा शोधकर्ताओं, लेखकों के लिए शोध-कोष्ठ/ शोध-कक्ष की सुविधा प्रदान करना ।
* सन्दर्भ, ग्रंथात्मक एवं सूचना सेवाएँ प्रदान करना ।
* अंतर-पुस्तकालय- ऋण की सुविधा प्रदान करना तथा राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अंतर-पुस्तकालय- ऋण केन्द्र के रूप में कार्य करना ।
* शोधकर्ताओं और अन्य पाठको के लिए प्रतिलिपिकरणसेवा चलाना ।
* रेफरल केन्द्र (Referral Centre) के रूप मे कार्य करना ।
Library | Location | Year Founded |
---|---|---|
Alexandrina Library | Alexandria, Egypt | 2002 (Originally founded in the 3rd century BCE.) |
British Library | London | 1973 (Originally founded in 1753 as the British Museum Library.) |
Central National Library of Rome | Rome | 1876 |
German National Library Frankfurt am Main | Germany | 2006 |
German National Library Leipzig | Germany | 2006 |
Library and Archives Canada | Ottawa | 2004 |
Library of Congress | Washington, D.C. | 1800 |
National Agricultural Library | Beltsville, Md. | 1962 |
National Diet Library | Tokyo | 1948 |
National Library | Rio de Janeiro | 1810 |
National Library | Warsaw | 1928 |
National Library of Australia | Canberra | 1960 |
National Library of China | Beijing | 1909 |
National Library of Education | Washington, D.C. | 1994 |
National Library of Greece | Athens | 1866 (Originally founded in 1832 as the Public Library.) |
National Library of India. | Kolkata (Calcutta) | 1903 |
National Library of Medicine | Bethesda, Md. | 1956 |
National Library of Mexico | Mexico City | 1867 |
National Library of Pakistan | Islamabad | 1993 |
National Library of Russia | St. Petersburg | 1795 |
National Library of South Africa | Pretoria; Cape Town | 1999 |
National Library of Spain | Madrid | 1836 |
National Library of Sweden | Stockholm | 1661 |
Royal Library | The Hague | 1798 |