अपठित गद्यांश : अपठित का अर्थ होता हैं “जो पढ़ा नहीं गया हो”। यह किसी पाठ्यक्रम की पुस्तक में से नहीं लिया जाता हैं। यह कला, विज्ञान, राजनीति, साहित्य या अर्थशास्त्र, किसी भी विषय का हो सकता है। इससे सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे छात्रों का मानसिक व्यायाम होता हैं, और उनका सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है। इससे छात्रों की व्यक्तिगत योग्यता व अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ती है।
1. दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
2. गद्यांश पढ़ते समय मुख्य बातों को रेखांकित कर देना चाहिए।
3. गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर देते समय भाषा एकदम सरल होनी चाहिए।
4. उत्तर सरल व संक्षिप्त व सहज होने चाहिए। अपनी भाषा में उत्तर देना चाहिए।
5. प्रश्नों के उत्तर कम-से-कम शब्दों में देने चाहिए, साथ हीं गद्यांश में से हीं उत्तर छाँटने चाहिए।
6. उत्तर में जितना पूछा जाए केवल उतना हीं लिखना चाहिए, उससे ज़्यादा या कम तथा अनावश्यक नहीं होना चाहिए। अर्थात, उत्तर प्रसंग के अनुसार होना चाहिए।
7. यदि गद्यांश का शीर्षक पूछा जाए तो शीर्षक गद्यांश के शुरु या अंत में छिपा रहता है।
8. मूलभाव के आधार पर शीर्षक लिखना चाहिए।
शीर्षक चुनते समय ध्यान रखे
* शीर्षक मूल बिषय से सम्बंधित होना चाहिए।
* शीर्षक संक्षिप्त, आकर्षक तथा सार्थक होना चाहिए।
* शीर्षक मे अनुच्छेद से सम्बंधित सारी बाते आ जानी चाहिए।
* शीर्षक का व्याप मूल बिषय से आधिक नहीं होना चाहिए।
नोट : बहुविकल्पी उत्तरों मे कई बार मिलते-जुलते अर्थ वाले विकल्प आ जाते है । ऐसे स्थिति मे प्रयुक्त शब्द की शक्ति, सीमा और अर्थ - भार पर ध्यान रखना चाहिए। स्वय से पूछना चाहिए कि क्या दिए गए उत्तर का सम्बन्ध पुरे अनुच्छेद से हैं, या उसमे कुछ कमी या अधिकता हैं। इस प्रकार आप ठीक उत्तर का चुनाव कर सकेगे।