अनुच्छेद: 049
आधा घंटे बाद, स्वामी अपने पिता के कमरे में हाथ में सलेट और पेंसिल के साथ तैयार होकर बैठ गया । पिता ने गणित की पुस्तक
खोली और लिखवाना शुरू किया । “राम के पास दस आम थे जिनसे वह पंद्रह रूपए कमाना चाहता था । कृष्ण को केवल चार आम
चाहिए थे ? कृष्ण को कितने रूपए देने होंगे ?” स्वामी सवाल की ओर बार-बार टकटकी लगाकर देखता । वह उसे जितनी बार
पढ़ता, उसे उसमें एक नया अर्थ प्रतीत होता । आमों को सोचकर उसके मुँह में पानी आने लगा । वह समझ नहीं पा रहा था कि
राम को दस आमों के लिए पंद्रह रूपए क्यों चाहिए थे ? यदि उसे पंद्रह रूपए चाहिए थे तो वह अवश्य ऐसा ही होगा । पिता ने
समाचार-पत्र से निगाह उठाते हुए पूछा,
“क्या तुमने सवाल कर लिया?”
“पिताजी, क्या आम पके हुए थे?”
“पिता ने थोड़ी देर के लिए उसकी ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर बोले, “पहले सवाल निकालो, फल पके हुए थे या नहीं,
यह मैं तुम्हें बाद में बताऊँगा ।“