अनुच्छेद: 048

हमारी पृथ्वी की लगभग दो-तिहाई सतह महासागरों के जल से ढकी हुई है । इन महासागरों की गहराई के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है । पृथ्वी की विशालतम पर्वत-श्रेणी हिमालय भी इन महासागरों में पूरी तरह डूब सकता है । स्थल पर वनस्पति जीवन, पशु-जीवन तथा मानव-जीवन के समान महासागरों का भी अपना एक संसार है । इन महासागरों में रहने वाले पशुओं और प्राणियों तथा स्थल के पशुओं और वनस्पतियों में विशाल अंतर है । समुद्र के प्राणियों की अजीब आकृतियों और रंगों के कारण कोई भी आसानी से पौधों को पशु और पशुओं को पौधे समझने की गलती कर सकता है: मूँगे पशु हैं, किन्तु एकदम फूलों की तरह लगते हैं । इन अजीब प्राणियों और पौधों के कारण, महासागरों को अपने-आप में अजायबरघर माना जाता है ।


Q.01 : “हिमालय भी इन महासागरों में पूरी तरह डूब सकता है” का अर्थ है ?

A. हिमालय महासागर में खो जाएगा
B. हिमालय महासागर का एक अंग बन जाएगा
C. हिमालय की ऊँचाई से महासागर की गहराई अधिक है
D. हिमालय महासागर से ऊँचा है
Answer : C. हिमालय की ऊँचाई से महासागर की गहराई अधिक है
 

Q.02 : स्थल पर पौधे, पशु तथा मानव हैं। महासागर में हैं

A. पौधें, पशु और लोग
B. पौधे और पशु
C. लोग तथा पौधे
D. पौधे तथा प्राणी
Answer : B. पौधे और पशु

Q.03 : मूँगे हैं ?

A. फूल
B. पौधे
C. प्राणी
D. पत्थर
Answer : C. प्राणी
 

Q.04 : महासागर एक प्रकार का अजायबघर है, क्योंकि इसमें ?

A. फूलों की तरह लगने वाले मूँगे हैं
B. अजीब आकृतियों और रंगों के प्राणी हैं
C. एक सुंदर फर्श है
D. अनेक प्रकार की मछलियाँ हैं
Answer : B. अजीब आकृतियों और रंगों के प्राणी हैं
   

Q.05 :  इस अनुच्छेद का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा,

A. महासागर की गहराई
B. महासागर में जीवन-रूप
C. महासागरों का संसार
D. हिमालय तथा महासागर
Answer : C. महासागरों का संसार


अपठित गद्यांश