अनुच्छेद: 044
कलकत्ता के एक इलाके में निर्धन तथा मरणासन्न लोगों के लिए निर्मल हृदय' नामक एक निवास-स्थान है। इसमें केवल ऐसे रोगग्रस्त लोगों को लिया जाता है,
जिनको कोई नहीं चाहता है । इन रोगग्रस्त निर्धन लोगों के बिस्तर के पास बहुधा एक वृद्धा, झुकी हुई, कोमल- हृदय नारी दिखाई पड़ती है, जो अपनी मुस्कान
अथवा अपने स्पर्श से निराश्रय, भूखे लोगों को सांत्वना देती दिखाई देती है । यह नारी मदर टेरेसा हैं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन निर्धनतम व्यक्तियों के लिए समर्पित कर
दिया है । अपने इस निवास-स्थान में वे कंवल उन लोगों को लेती हैं, जिनके लिए कहीं और ठौर नहीं होती है । अतः छोटे-छोटे बच्चे जिनकी देखभाल करने वाला कोई
भी नहीं है या वृद्ध व्यक्ति जिन्हें कोई भी नहीं चाहता है, स्त्री-पुरूष जो इतने बीमार हैं कि उनका ठीक होना संभव नहीं है, असहाय भूखे भिखारी, इन सभी की देखभाल
करती हैं, चाहे वे किसी भी जाति अथवा धर्म के हों, मदर टेरेसा उनके लिए मूर्तिमान संत हैं ।