अनुच्छेद: 032

गालिब उर्दू के एक कवि थे । उनको आम बहुत प्रिय थे । उनके दोस्त को आम नहीं पसन्द थे । एक दिन गर्मी में गालिब अपने दोस्त के साथ उसके घर की छत पर बैठे हुए थे । वही सडक के किनारे आम के छिलकों का एक ढेर पडा था । इतने मे एक गधा आया, उसने आम के छिलको को सूँघा और चला गया । गालिब के दोस्त ने कहा, “गधे भी तो आम को पसन्द नहीं करते ।” गालिब मुस्कुराए और बोले, “गधे आम पसन्द नही करते ।“


Q.01 : आम के छिलको का ढेर कहॉ पडा था ?

A. छत पर
B. दोस्त के घर पर
C. सडक के किनारे
D. एक गधे के घर
Answer : C. सडक के किनारे
 

Q.02 : छत पर दोस्त के साथ गालिब क्‍या कर रहे थे ?

A. वे आम खा रहे थे
B. वे कविता पढ रहे थे
C. वे अपने दोस्त के साथ बातें कर रहे थे
D. वे आमो को सूघ रहे थे
Answer : C. वे अपने दोस्त के साथ बातें कर रहे थे

Q.03 : “देखो । गधे भी तो आमों को पसन्द नहीं करते ।” यह गधा सूचक है-

A. एक मूर्ख जानवर का
B. एक लदृ जानवर का
C. एक हमेशा भूखा रहने वाला जानवर
D. एक महनती जानवर
Answer : A. एक मूर्ख जानवर का
 

Q.04 : “हॉ गधे आम पसन्द नही करते । “ इसका अर्थ है कि ?

A. जानवर आमो को पसन्द नही करते
B. बुद्धिमान लोग आमों को पसन्द नहीं करतें
C. मूर्ख लोग आमो को पसन्द नहीं करते
D. कवि लोग आमो को पसन्द नहीं करते
Answer : C. मूर्ख लोग आमो को पसन्द नहीं करते
   

Q.05 : इनमे से इस कहानी का कौन-सा शीर्षक सबसे उपयुक्त है?

A. गालिब का कविता से प्यार
B. गालिब का फलो से प्यार
C. गालिब का आमो से प्यार
D. विनोद-प्रिय गालिब
Answer : D. विनोद-प्रिय गालिब


अपठित गद्यांश