अनुच्छेद: 031

महादेव गोविन्द रानाडे का नाम तुमने जरुर सुना होगा । रानाडे पहले जज थे, अब वे देश-सेवा के काम में लग गए । उनके जमाने में हमारे देश पर अग्रेजो का शासन था । रानाडे ने प्रत्येक भारतवासी की शिक्षा के लिए विदेशी सरकार से जगह-जगह विद्यालय खोलने को कहा ।
रानाडे सोचते थे कि जब सारे देशवासी पढ लिख जाएँगे, तब वे समझेगे कि आजादी क्या है । सभी लोग आजादी पाने के लिए प्रयास करेगे, बलिदान करेगे । इसके लिए वे हमेशा विदेशी सरकार से लडते रहे । वे हमारे देश के महान नेता थे । वे जितने महान थे, उतने ही कोमल और विनम्र भी, उनके जीवन से हमे यह सीख मिलती है कि लाचारो की सहायता करना मनुष्य का परम धर्म है ।


Q.01 : महादेव गोविन्द रानाडे क्‍या थे ?

A. जज
B. वकील
C. खिलाडी
D. अध्यक्ष
Answer : A. जज
 

Q.02 : हमारे देश पर किसका शासन था ?

A. अमेरिका का
B. फ्रांस का
C. अंग्रेजो का
D. इटली का
Answer : C. अंग्रेजो का

Q.03 : रानाडे जितने महान थे उतने ही कोमल और .... भी ?

A. विनय
B. विनम्र
C. कठोर
D. धूर्त
Answer : B. विनम्र
 

Q.04 : इस कहानी से हमे क्या सीख मिलती है ?

A. लाचारों की सहायता करनी चाहिए
B. लाचारो की सहायता नहीं करनी चाहिए
C. लाचारो को धोखा देना चाहिए
D. इनमें से कोई नहीं
Answer : A. लाचारों की सहायता करनी चाहिए
   

Q.05 :  रानाडे ने विदेशी सरकार से क्‍या खोलने को कहा ?

A. कॉलेज
B. विद्यालय
C. विश्वविद्यालय
D. इंस्टीट्यूट
Answer : A. कॉलेज


अपठित गद्यांश