अनुच्छेद: 026
कभी-कभी रेगिस्तान में गर्म बालू की ऑधी चलती हैं । रेगिस्तान में बालू की ऑधी जोरों की आती हैं । हवा आग की तरह गर्म हो उठती है ।
हवा के साथ-साथ बालू भी ऊपर उठने लगती है । बालू इतनी गर्म और इसकी रफ्तार इतनी तेज होती है, कि वर्णन नही किया जा सकता है ।
आदमी की आँखो और कानो के अलावा गले में भी बालू घुस जाती है। ऊँटो को किसी तरह यह बात पहले ही मालूम हो जाती है, कि ऑधी आने वाली है ।
बस, वे हवा की ओर पीठ करके बैठ जाते है, और अपना मुँह बालू में घुसा लेते है । जब ऑधी गुजर जाती है तब वे सुरक्षित उठ खडे होते है ।
ऑधी आने पर रेगिस्तान में यात्रा कर रहे यात्री भी अपने चेहरों पर कपडा लपेट लेते है, और पेट के बल पर धरती पर लेट जाते है ।
गर्म बालू की ऑधी उन के ऊपर से गुजर जाती है । जो लोग ऐसा नही करते वैसे लोगो का मरना निश्चित है । रेगिस्तान में यात्रा करने वाले बददुओं जो
खानाबदोश जाति के है, जिनको को यह जानकारी रहती है और वे सावधानी बरते है।