अनुच्छेद: 025
बादशाह नसरुद्दीन अपनी उदारता और अपने नम्र स्वभाव के लिए बहुत विख्यात है । बादशाह होने पर भी अपने निजी खर्च के लिए उन्होंने शाही
खजाने से कभी एक पैसा भी नहीं लिया । वे बच्चों को पढ़ाया करते थे और उससे अपनी रोजी कमाते थे ।
एक दिन खाना बनाते समय उनकी बेगम का हाथ जल गया तथा असह्वा पीड़ा होने लगी । वे भागी हुई नसरुद्दीन के पास गई और चीखकर बोलीं,
“देखो तो,, मेरा हाथ जल गया । क्या आप जैसा बड़ा बादशाह एक रसोइया भी नहीं रख सकता ?” बादशाह मुस्कराये और धीरे से बोले,
“बेगम साहिबा ! यह न भूलें कि यह शाही खजाना मेरा नहीं है । यह मेरी प्रजा का है। अपने लिए इसमें से एक पैसा भी लेना पाप होगा ।”
यह सुनकर बेगम चुप हो गई और चुपचाप रसोई में चली गई ।