अनुच्छेद: 023
एक दिन एक व्यापारी भगवान बुद्ध के पास गया और उनको गालियाँ देने लगा । व्यापारी ने उनको बहुत अधिक गालियाँ दीं, किन्तु भगवान बुद्ध बिलकुल चुप रहे ।
व्यापारी ने जब गालियाँ देना बन्द कर दिया, तब भगवान बुद्ध ने उससे पूछा, भाई, क्या आपके घर कभी कोई अतिथि आते हैं ? उसने उत्तर दिया, “हाँ, आते हैं ।”
तब भगवान बुद्ध ने उससे पूछा, “क्या आप उन्हें भोजन देते हैं ?” “हाँ, देते हैं ।” व्यापारी बोला । तब भगवान बुद्ध ने फिर उससे पूछा, “मान लें, आप अतिथि को जो कुछ दें,
वह उसे स्वीकार न करें, तो!” व्यापारी ने उत्तर दिया, “आपका प्रश्न कितना हास्यास्पद है । अगर वे स्वीकार नहीं करेंगें तो वह भोजन हमारे पास ही रहेगा ।” तब भगवान बुद्ध ने
धीरे से कहा, “जो कुछ आप मुझे दे रहे थे, वह अब आपके पास ही है ।” भगवान बुद्ध के इतना कहते ही व्यापारी बहुत लज्जित हो गया और उसने प्रण किया कि वह भविष्य में
कभी बुरी भाषा का प्रयोग नहीं करेगा ।