अनुच्छेद: 017
जिस महापुरुषों ने भारतीय समाज की दुर्व्यवस्था एवं गलत नीतियों को दूर करने में अपने जीवन के अमूल्य क्षणों का सदुपयोग किया,
उनमें राजा राममोहन राय का नाम प्रमुख है। उन्होंने सती प्रथा और बाल-विवाह जैसी कुरीतियों को बन्द कराने का आन्दोलन चलाया जो आगे चल
कर सफल हुआ । वे “नये भारत के पिता' के नाम से हमारे देश में लब्धप्रतिष्ठ थे । राममोहन राय ने समाज की कुरीतियों को हटाने के लिए पुस्तकें
लिखीं, लेख लिखे और निर्भय होकर बुराइयों को भंडाफोड़ किया । उन्होंने 'ब्रह्मसमाज” की स्थापना की । उनके चलते बंगाल के हिन्दू नवयुवक
समझने लगे कि हिन्दू ठोस हैं और ढोंगियों ने इनमें बुराइयाँ फैला रखी हैं । राममोहन राय के समय बंगाल में अँग्रेजी शासन था । उन्होंने शासन
की ओर से ऐसे कानून बनाने की कोशिश 71 कीं जिनसे भारतवासियों में फैली बुराइयाँ दूर हों । उन्होंने देखा कि अंग्रेजी सरकार हुकूमत के लिए
अंग्रेजी में कागज-पत्र लिखती है । कानून की किताबें अंग्रेजी में लिखी जाती हैं । भारत के लोग अंग्रेजी पढ़ना-लिखना नहीं जानते और इसलिए
सिर्फ चपरासी बनाये जाते हैं । उस समय अंग्रेज नहीं चाहते थे, कि भारतीय पढ़ें । उनको डर था कि अंग्रेजी पढ़ जाने से वे हुकूमत में टाँग
अड़ाएँगे और अंग्रेजों की पोल खुल जाएगी । राममोहन राय अंग्रेजों की चाल समझ गये थे । उन्होंने आन्दोलन किया । दो-चार अंग्रेजों ने भी
उनका समर्थन किया । लाचार होकर अंग्रेजी सरकार ने भारतीयों को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए शिक्षा-विभाग खोला ।