निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना
PLEDGE : Promoting Leadership and Enterprise for Development of Growth Engines


28 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने औद्योगिक भूमि की आवश्यकता को सुनिश्चित कराने हेतु “निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना' (PLEDGE : Promoting Leadership and Enterprise for Development of Growth Engines) के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना योजना को निजी प्रवर्तक के द्वारा बिल्ड, ओन, ऑपरेट के आधार पर संचालित किया जाएगा। योजना के किसी भी बिंदु पर आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्धन मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किया जा सकेगा।

महत्वपूर्ण तथ्य | Important Facts

निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना के अंतर्गत निजी प्रवर्तक द्वारा 10 एकड़ से 50 एकड़ तक की भूमि पर औद्योगिक पार्क विकसित करने का प्रस्ताव, भूमि के स्वामित्व के कागजात एवं आगणन सहित जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र को उपलब्ध कराएंगे।
योजना के तहत प्रवर्तक द्वारा क्लस्टर पर आधारित औद्योगिक पार्कों के विकास से संबंधित प्रस्तावों को वरीयता प्रदान की जाएगी।
निजी प्रवर्तकों द्वारा विकसित किए गए औद्योगिक पार्को में न्यूनतम प्रति एकड़ 1 इकाई को भू-खंड आवंटित किया जाना अनिवार्य होगा तथा कुल विकसित भूमि में से 75 प्रतिशत भू-खंड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों के लिए आरक्षित होगा।
निजी प्रवर्तक द्वारा औद्योगिक पार्क हेतु प्रस्तावित की गई भूमि राज्य सरकार के पक्ष में बंधक रखी जाएगी।
निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना के अंतर्गत विकसित किए जा रहे निजी औद्योगिक पार्कों के भूखंडों के आवंटन, संचालन तथा मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के रख-रखाव का संपूर्ण दायित्व निजी प्रवर्तक की होगी।
निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना के अंतर्गत 2500 करोड़ रुपये के रिवॉल्विग फंड का कॉर्पस बनाया जाएगा, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
कॉर्पस फंड हेतु पूर्ण धनराशि की व्यवस्था 5 वर्ष में बजट के माध्यम से कर ली जाएगी।
निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की योजना के अंतर्गत 10 एकड़ से लेकर 50 एकड़ भूमि पर एम.एस.एम.ई. पार्क विकसित करने वाले प्रवर्तकों को जिला कलेक्टर रेट पर भूमि के मूल्य का 90 प्रतिशत अथवा औद्योगिक पार्क को विकसित करने हेतु आवश्यक धनराशि में से जो भी कम हो, एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराई जाएगी।
शेष पूंजी की व्यवस्था निजी प्रवर्तक द्वारा स्वयं के स्रोतों से अथवा बैंक से ऋण लेकर करनी होगी।
औद्योगिक पार्क के आंतरिक विकास की लागत की गणना अधिकतम 50 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से की जाएगी। बल यह योजना स्टैंड एलोन योजना होगी।
विकासकर्ता को भूमि की खरीद पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क पर 100 प्रतिशत की छूट प्रदत्त होगी।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2022 में उल्लिखित पर्यावरणीय अनुकूल अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए दी जाने वाली सहायता के अतिरिक्त अन्य कोई आर्थिक सहायता प्रवर्तक को प्रदान नहीं की जाएगी।
भूमि की खरीद, योजना के क्रियान्वयन प्रारंभ होने के पश्चात की गई होनी चाहिए।
विभाग द्वारा प्रवर्तक को अवमुक्त की जाने वाली धनराशि दो समान किस्तों में (पहली किस्त के 75 प्रतिशत धनराशि का उपयोग हो जाने पर द्वितीय किस्त) दी जाएगी।
प्रथम तीन वर्षों तक प्रवर्तक को दी गई धनराशि पर 1 प्रतिशत का साधारण ब्याज लिया जाएगा और चौथे वर्ष से कॉर्पस फंड से दी गई धनराशि पर 6 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्याज लिया जाएगा।
प्रथम तीन वर्षों तक प्रवर्तक को दी गई धनराशि पर 1 प्रतिशत का साधारण ब्याज लिया जाएगा और चौथे वर्ष से कॉर्पस फंड से दी गई धनराशि पर 6 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्याज लिया जाएगा।
योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा दी गई पूंजी को वापस करने की अधिकतम अवधि 6 वर्ष होगी।
निर्धारित अवधि में धनराशि वापस न किए जाने की स्थिति में निजी प्रवर्तक द्वारा राज्य सरकार के पक्ष में बंधक रखी गई भूमि राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन हो जाएगी, जिसका राजस्व नियमों के अंतर्गत विक्रय कर राज्य सरकार बकाया वसूल करेगी।