Behaya । बेहया

“बेहया । Behaya” विनीता अस्थाना, जी का एक प्रशंसनीय प्रयास है।

“बेहया । Behaya” विनीता अस्थाना, जी का एक प्रशंसनीय प्रयास है। किताब का “बेहया” नाम से ही ज़ाहिर हो जाता है, कि यह एक औरत की ज़िंदगी के इर्द गिर्द घुमती हुई कहानी होगी । और ये सच है, कि “बेहया” उपन्यास में आधुनिक व शिक्षित सिया की कहानी है, जो अपनी मेहनत के दम पर अपना नाम कमाने के साथ – साथ घर, परिवार व काम की ज़िम्मेदारी बखूबी संभालती हैं और अपनी लगन से जीवन में ऊंचाइयां छूती हैं. परन्तु समाज को उसकी सफलता महनत और लगन से नहीं बल्क़ि कुछ गलत काम को करके सफल होना नजर आता है, वे उस पर यही सोच कर लांछन लगाते हैं । यह कहानी सिया की ही नहीं उन महिलाओं की भी है जो आधुनिक, शिक्षित व अपने महनत के दम पर कामियाब हैं ।

“बेहया” उपन्यास की कहानी में तीन मुख्य पात्र है, सिया, यश (सिया का पति) व अभिज्ञान । सिया अपने करियर में सफल होने के साथ साथ वह विचारों की धनी और संवेदनशील महिला है। यश एक अमीर बिजनेसमैन है जो सिया के चरित्र पर शक करता हैं, और उसे मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं देता है। को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है। उसके चरित्र को शक भरी नज़रों से देखता है। सिया अपने परिवार और समाज के दबाव में आकर अपनी शादी को बचाने के चक्कर में उसके सभी जुल्म सहती जाती है। एक सशक्त महिला होने के बावजूद वो यश के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करतीं।

ज़िंदगी के एक मोड़ पर सिया की मुलाकात अभिज्ञान से होती है, और अभिज्ञान सिया को खुद पर विश्वास करना सिखाता है, जिससे सिया जिन्दगी की समस्याओ को सहने की वजह उनसे लड़ना शुरू कर देती है जिससे सिया की ज़िंदगी बदलने लगती है। किताब में अभिज्ञान और सिया के संवाद इस किताब के मुख्य आकर्षण है। उपन्यास समाज की हकीकत से रूबरू करने के साथ – साथ रोचक भी है, जो पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखता है।

अंत में विनीता अस्थाना जी को बहुत बहुत धन्यबाद, एक जरूरी विषय पर एक अच्छा उपन्यास लिखने के लिए

किताब से ली गई कुछ अच्छी लाइनों:-
“समस्याएँ हमारे पीछे नहीं पड़ती, बल्कि हम उन्हें जकड़े रहते है।”
“अगर तुम अपने लिए आवाज नहीं उठा सकते हो, तो तुम किसी और के लिए क्या आवाज उठाओगे।”
“एक औरत के रूप में, आप जिन्दगी की निर्माता हो।”
“आपके पास वे शक्तियाँ है जिससे आप नए जीवन को जन्म दे सकती हैं।”
“अपनी खुशियों की अपने सपनों की, खुद जिम्मेदारी लो और उन्हें पूरा करो।”
“जीवनसाथी केवल पति-पत्नी या प्रेमी नहीं होते, ये आपके माँ-बाप, रिश्तेदार, दोस्त या कोई और भी हो सकते हैं।”
“जब तक आप स्वयं खुश नहीं हैं, आप अपने आस-पास के लोगो को भी खुश नहीं रख सकते।”
“ये जरुरी नहीं हैं कि जिनसे आप प्यार करो, जिन्हें जन्म दो, या फिर जिससे शादी करो, वे ही आपके सोलमेट हो। वे आपके आस-पास के रिश्तो से परे दुसरे लोग भी हो सकते है।”
“कभी-कभी औरतो का भावुक हिस्सा उनकी अक्ल पर भरी पड़ जाता हैं।”
“ये हमारी सभ्यताओ के शुरुआत से चला आ रहा था कि हमने औरतो के लिए पीड़ित और आदमियों के लिए उत्पीड़क की मानसिकता पाल रखी हैं ।”
“प्यार बंदिशे नहीं लगता, प्यार आपको स्वतन्त्र करता है।”
“असली दौलत और जिन्दगी का लक्ष्य खुशी ही है।”
“दिल और दिमाग की लडाई में दिमाग अक्सर हार जाता हैं।”
“बच्चे भौतिकता में खुशियाँ न ढूढे, बल्कि इंसानियत और रिश्तों का सम्मान करें ।”
“महान लोग नए विचारो पर बात करते हैं।”
“प्यार नि:स्वार्थ होता हैं, जबकि रिश्ते निभाए जाने के मोहताज होते हैं ।”
“रिश्ते निभाने के लिए जिम्मेदारियाँ उठानी पड़ती हैं। उम्मीदों पर खरा उतरना पड़ता हैं ।”
“प्यार दरअसल गायब नहीं होता बस फीका पड़ जाता हैं।”
Book Details
किताब : बेहया (Behaya)
लेखक : विनीता अस्थाना
पब्लिशर : Hind Yugm; First edition (1 January 2021)
आई एस बी एन (ISBN) : 978-9387464988
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