पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियम

Five Laws of Library Science


भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ0 एस0 आर0 रंगनाथन की पुस्तकालय आंदोलन के विकास मै मुख्य भूमिका रही है । भारत मे पुस्तकालयों की दशा को देख कर डॉ0 रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान के लिए पाँच नियम दिये जिनका प्रकाशन सन 1931 में “Five Laws of Library Science” पुस्तक की रूप में प्रकाशित हुये जो निम्न प्रकार है:-
  1. पुस्तकें उपयोग के लिए हैं (Books are for use)
  2. प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक (Every Reader His/ Her Book)
  3. प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक (Every Book its Reader)
  4. पाठकों का समय बचाएं (Save The Time of Reader)
  5. पुस्तकालय एक वर्धनशील (बढ़ती हुई) संस्था है (Library is a growing origination)

प्रथम नियम (1st Law)

पुस्तकें उपयोग के लिए हैं (Books are for use)

पहले के समय में पुस्तकें उपयोग के लिए नहीं होती थी, शाही पुस्तकालय होते थे। सिर्फ कुछ लोग ही पुस्तकों का उपयोग करते थे। पुस्तकों की सुरक्षा उनके उपयोग से अधिक महत्वपूर्ण होती थी। इस नियम पुस्तकालय के पूरे सिस्टम को परिवर्तित कर दिया। पुस्तकों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे कर सकते हैं इसके लिए रंगनाथन ने कुछ उपाय सुझाए।

पुस्तकालय की स्थिति (Library Location) : पुस्तकालय ऐसी जगह स्थित होने चाहिए जहां पर पाठक आसानी से आ-जा सकते, पुस्तकालय पाठकों की पहुंच से दूर नहीं होनी चाहिए। यदि वह सार्वजनिक पुस्तकालय है तो शहर के बीच में या शहर के दिल में स्थित होना चाहिए, या ऐसी जगह जहां पर ज्यादा से ज्यादा लोग आते जाते हो। यदि वह शैक्षिक पुस्तकालय है तो वह शैक्षिक संस्था की केंद्र में होना चाहिए परंतु छात्रावास से भी दूर नहीं होना चाहिए ताकि छात्र सुबह शाम भी पुस्तकालय में आसानी से आ जा सकें और पुस्तकों का उपयोग कर सकें। पुस्तकालय के आसपास शोर गुल व प्रदुषण न हो।

प्रवेश मुक्त प्रणाली (Open Access System) : प्रथम सूत्र में सबसे सहायक है मुक्त मुक्त प्रणाली। पाठक अपने आप पुस्तक तक पहुंचे और कोई रुकावट ना हो। पुस्तकें खुली रखी हो जिसमें पाठक अपनी पसंद की पुस्तक छांट ले। जहां पर मुफ्त प्रणाली नहीं होती वहां पर आमतौर पर पाठक कम पहुंचता है व अपनी पसंद की पुस्तक नहीं ले पाता। जिससे पुस्तकालय मे पुस्तकों का उपयोग काम हो जाता है।

पुस्तकालय का खुलने का समय (Library Opening Hrs.) : अपने पाठकों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के लिए वह पुस्तकों को अधिकाधिक उपयोग के लिए जरूरी है कि पुस्तकालय ज्यादा समय के लिए खुले । सुबह व शाम के अलावा पुस्तकालय रात को भी खुले । पुस्तकालय के खुलने के लिए घंटे बड़ा देनी चाहिए, पहले के पुस्तकालय तो चंद घंटों के लिए खुलते थे । सार्वजनिक पुस्तकालय सुबह-साम का समय जरुर खुलने चाहिए । जिससे कामगार पाठक भी पुस्तकालय का उपयोग कर सके ।

पुस्तकों का चयन (Book Selection) : पुस्तकालय अध्यक्ष को पुस्तकों का चयन सोच समझ कर अपने पाठकों के स्तर व पाठको के सुझाव ले के करना चाहिए जिससे कि पुस्तको का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके । सार्वजनिक पुस्तकालयों में तो सभी प्रकार की पुस्तकें होनी चाहिए क्योंकि वहां पर सब प्रकार के पाठक आते हैं ।

पुस्तकालय उपस्कर तथा भवन (Library Furniture and Building): पुस्तकालयों में अलमारियों की ऊँचाई का ध्यान रखना चाहिए जिससे काम लम्बाई वाले पाठक भी पुस्तकों का उपयोग आसानी से कर सके । किताबों को अलमारियों मे अच्छी तरह से लगाया लगाना चाहिए ना कि ठूंस- ठूंस कर भरा जाए । खुले रेको का उपयोग करना चाहिए रेकों के बीच का स्थान भी अच्छा होना चाहिए । जिससे पाठक बीच के रास्तों मे आ जा सकें । पुस्तकालय की कुर्सियां भी अच्छी होनी चाहिए जिससे पाठक बैठा हुआ न थके, तथा भवन को अच्छी तरह सोच समझकर निर्मित करना चाहिए । पुस्तकालय भवन मे प्राकृतिक रोशनी की भी व्यवस्था हो । यह सब व्यवस्था भी पुस्तकालय पाठक को आकर्षित करती हैं जिसमें पुस्तकों का उपयोग बढ़ता है ।

पुस्तकालय कर्मचारी (Library Staff): पुस्तकालय कर्मचारी को पुस्तकों व पाठकों के बीच की कड़ी कहा गया है । एक पाठक को उसकी पसंद की पुस्तक के पास कर्मचारी अच्छे तरीके से पहुंचा सकता है ।पुस्तकालय कर्मचारियों का व्यवहार मृदुल होना चाहिए जिससे पाठक बार-बार पुस्तकालय में आए और पुस्तकों का उपयोग करें । जब पहली बार पाठक पुस्तकालय में आता है तो वह ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए । ऐसा भी हो सकता है पाठक किसी से कुछ न पूछे शर्मिला हो ऐसे पाठकों को पूरा ध्यान देकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए ।

निशुल्क उपलब्धता : पुस्तकालयों में पुस्तकों के बदले में शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए यह व्यवस्था बिना शुल्क के होनी चाहिए । ताकि पुस्तकों का उपयोग कम ना हो ज्यादातर पुस्तकालयों में पाठकों से सीधे तौर पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता ।

दुतीय नियम (2nd Law)

प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक (Every Reader His/ Her Book)

प्रत्येक पाठक को उसकी रुचि की पुस्तक मिले यह दितीय नियम का अर्थ है । सभी को पुस्तक मिले चाहे वह पढ़ा लिखा या अनपढ़ हो । अनपढ़ों को भी पुस्तक मिले का अर्थ वाक्य शिक्षा मिले । पुस्तकें बच्चों को, औरतों को व सभी वर्गों के लोगों को, शहरी तथा ग्रामीणों को बीमार लोगों को, काम करने वाले वाले लोगों को, इत्यादि को मिले । दितीय नियम प्रजातंत्र को बढ़ावा देता है । सभी को शिक्षा व अवसर मिले । इसमें सरकार पुस्तकालय अध्यक्ष व कर्मचारियों को मिलकर कदम उठाने चाहिए ।

सभी वर्गों के लिए पुस्तकें : पुस्तकालय में सभी वर्ग के लोग के लिए पुस्तकें होनी चाहिए । सभी आयु के लोगों के लिए पुस्तक में होनी चाहिए । जनसाधारण के लिए भी पुस्तकालय में पुस्तक में होनी चाहिए जिसमें वह अपना तथा साथ वालों का जीवन स्तर ऊंचा उठाकर अच्छा जीवन जी सकें ।

ग्रामीण पुस्तकालय सेवाएं: पुस्तकालय जिला स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक खुलने चाहिए । गांव के लोगों को भी पुस्तक पढ़ने का अधिकार है । गांव के किसान, महिलाएं, बच्चे, बूढ़े अपनी जरूरतों की जैसी किसान खेतों में खाद कब डालना, कौन-कौन सी फसलें उगानी है, महिलाएं भी बच्चों का लालन-पालन व घरेलू बातो के बारे में, वृद्ध आदमी धार्मिक साहित्य पढ़कर, खाली समय गुजार सकते हैं । बच्चों भी कहानी उपन्यास पढ़कर ज्ञान व मनोरंजन प्राप्त कर सकते हैं । इस प्रकार सबको अपनी पुस्तकें मिल सकती हैं ।

प्रोढो तथा बच्चों के लिए: जो समय से स्कूल ना जा सके उनको भी पढ़ने का अधिकार है । पुस्तकालय इन लोगों के लिए वरदान सिद्ध होता है बल्कि जो पढ़े लिखे हैं उनकी निरंतर पढ़ाई में रुचि बनाए रखने में भी पुस्तकालय सहायक है । बच्चों में पढ़ने की आदत व रुचि बनाने में भी पुस्तकालय का योगदान है । पुस्तकें बीमार और जेल के कैदियों के लिए, कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को व अन्य पेशे के लोगों के लिए दितीय नियम पुस्तकों की सिफारिश करता है ।

सरकार के कर्तव्य: सरकार को भी इसमें योगदान देना चाहिए जैसे पुस्तकालय अधिनियम पास करके, धन की व्यवस्था कर के, नये पुस्तकालय खोलकर ।

पुस्तकालय अध्यक्ष पुस्तकालय कर्मचारियों का कर्तव्य: पुस्तकालय अध्यक्ष व पुस्तकालय कर्मचारियों का कर्तव्य है कि वह पाठकों को उनकी पसंद की पुस्तकों तक पहुंचाएं, वह अच्छा व्यवहार करें व जगह जगह पर पुस्तकालय का प्रसार करें जिससे अन्य पाठक को भी पता चले और पुस्तकालय में आए और फायदा उठाएं । अपने पुस्तकालय की सेवाओं का भी विस्तार करना चाहिए ।

पाठकों के कर्तव्य: सरकार तथा पुस्तकालय कर्मचारियों के साथ पाठकों भी कर्तव्य है कि वे पुस्तकों को हानि ना पहुंचाएं । पुस्तकालय को साफ सुथरा रखने में सहयोग करें तथा पुस्तकों का यथास्थान रखें छुपाए नहीं पुस्तकों की चोरी करना, पुस्तकालय मे शोर मचाना इत्यादि इन सब से पाठकों को दूर करना चाहिए । जहां तक हो सके पुस्तकालय प्रबंधन में सहयोग करें ।

तृतीय नियम (3rd Law)

प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक (Every Book its Reader)

तृतीय सूत्र में डॉ रंगनाथन ने कहा है कि प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक मिलना चाहिए । पाठक को पुस्तकों तक पहुंचाने के लिए उनकी जानकारी होना आवश्यक है । पुस्तकों की जानकारी पुस्तकालय सूची, वर्गीकरण, मुक्त प्रवेश प्रणाली, संदर्भ सेवा, प्रदर्शन प्रसार सेवा से हो सकती है । जो इस प्रकार है:-

मुक्त प्रवेश प्रणाली : मुक्त प्रवेश प्रणाली पाठको को पुस्तकालय मे सीधा निमंत्रण देती है। पहले पुस्तको को बंद अलमारियों में रखा जाता था। उनका पाठकों तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। मुक्त प्रवेश प्रणाली में पाठक अपनी पसंद की पुस्तक तक पहुंच सकता है। जिसमें प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक मिल सकता है। लेकिन पुस्तकों की सुरक्षा घट जाती है, तथा चोरी होने का खतरा रहता है। परंतु इस डर से पुस्तकालय में किताबों को अलमारी में बंद नहीं करना चाहिए। पुस्तकालय अध्यक्ष को किताबों को अलमारी में देखकर खुश नहीं होना चाहिए, बल्कि खाली अलमारी को देखकर खुश होना चाहिए। सब पुस्तकों का उपयोग हो सके यह तृतीय नियम है।

वर्गीकरण (Classification): पुस्तक खरीदने के बाद उनका वर्गीकरण किया जाता है जिसमें पुस्तकों को उनके वर्ग के हिसाब से अलमारियों में लगाया जाता है। पाठक अपनी पसंद की पुस्तकों तक सूची से वर्ग संख्या लेकर पहुंच जाता है। पुस्तकों पर वर्ग संख्या लिखा हुआ लेवल लगा होता है। जिससे पुस्तकों को पाठक मिल जाता है। और तृतीय सूत्र की पूर्ति होती है।

सूचीकरण (Cataloguing): सूचीकरण वर्गीकरण के बाद किया जाता है जो पुस्तक की चाबी है। सूचीकरण में पाठक, लेखक के नाम से, विषय से, वर्ग संख्या से, अपनी पसंद की किताबें ढूंढ सकता है। पुस्तकालय की मुख्य द्वार के पास ही सूची मंजूषा (Cataloguing Cabinet) रखा होता है। जिसमें सूचीकरण के कार्ड होते हैं जिनकी सहायता से पाठक अपनी पसंद की पत्रिकाएं पुस्तकें खोज सकता है।

संदर्भ सेवा (Reference Services): संदर्भ सेवा का कार्य एक पाठक को सही समय पर उसकी पसंद की पुस्तक के साथ में लाना है व पुस्तक को उसके सही पाठक से। संदर्भ कर्मचारीयों का कर्तव्य है कि वह पुस्तकों के बारे में पाठक को बताएं उनमें क्या-क्या है तथा इनको कैसे उपयोग में लाया जाता है। संदर्भ ग्रंथों की प्रकृति, प्रबंधन, सामान्य पुस्तकों से अलग होता है इसलिए उनके बारे में बताना जरूरी है जिससे उनका ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो तथा तृतीय सूत्र की पूर्ति व पालन हो।

प्रदर्शन (Publicity): नई-नई पुस्तकों को बोर्ड पर प्रदर्शित करने से पाठक पुस्तक की तरफ आकर्षित होगे। पुस्तक सप्ताह का आयोजन करने से पुस्तकों को उनके पाठक मिलते हैं।

प्रसार सेवा (Extension Services): पुस्तकालय अपनी प्रसार सेवा द्वारा पुस्तकों को पाठकों तक पहुंचाता है। इसके अंतर्गत चलते–फिरते पुस्तकालयों की स्थापना हुई है जो पाठक पुस्तकालय तक नहीं पहुंच पाते पुस्तकें चलते–फिरते पुस्तकालयों द्वारा उनके पास पहुंचती है जिससे पुस्तकों को उनके पाठक मिल जाते हैं।

वांग्मय सूची एवं अनुक्रमणी (Bibliography & Indexing): पुस्तकालय विषयों के अनुसार भी वांग्मय सूचीयाँ तेयार करते है तथा पुस्तकों-पत्रिकाओं की अनुक्रमणी बनाकर उनके प्रयोग को बढ़ावा देते हैं। कई बार पुस्तकालय पुस्तकों की विषय अनुसार साधारण सूचियों को भी तैयार करते हैं जिसमें भी पुस्तकों के बारे में पाठकों को पता चलता है और उनका सहयोग बढ़ता है व तृतीय सूत्र की पूर्ति व पालन होता है।

चतुर्थ नियम (4th Law)

पाठकों का समय बचाएं (Save The Time of Reader)

डॉ रंगनाथन ने चतुर्थ सूत्र पाठक के समय की बचत बहुत महत्वपूर्ण है दिया। एक पुस्तकालय के पास सभी संसाधन के होते हुए भी यदि पाठक का उसकी पसंद की सामग्री के लिए बहुत इंतजार करना पड़े या खोजने में बहुत समय लगे तो उस पुस्तकालय का कोई औचित्य नहीं है और ऐसे पुस्तकालय से पाठक भी संतुष्ट नहीं होगा और वह दूसरा कोई संसाधन खोजेगा। पाठक का कीमती समय केसे बचाया जा सकता है। कुछ उपाय नीचे दिये गये है :

मुक्त प्रवेश प्रणाली (Open Access System): यदि हम बंद प्रणाली रखेंगे तो पाठकों की कतारें बढ़ेगी और उनको, कर्मचारी किताबें निकाल-निकाल कर देगा इसमें पाठक कीमती समय नष्ट होगा। मुक्त प्रणाली मे कई पाठक एक साथ पुस्तकें खोज सकते हैं। मुक्त प्रणाली में पाठक अभ्यस्त हो जाता है तो वह सीधे अलमारी पर जाता है और अपनी पसंद की किताब लेकर तुरंत आ जाएगा। इससे पाठक के साथ-साथ कर्मचारीयों के समय की भी बचत होगी। और चतुर्थ नियम की पूर्ति व पालन होगा।

वर्गीकरण व सूचीकरण (Classification & Cataloguing): ये दोनों वर्गीकरण व सूचीकरण पाठकों को उनकी पसंद की पुस्तकों तक पहुंचाने में सहायता करते हैं। इनकी सहायता से पाठक कम समय में अपने मनपसंद विषय की पुस्तकों को पास पहुंच जाता है जिसमें उनकी समय की बचत होती है।

आदान-प्रदान प्रणाली (Issue Return System): पुस्तकों को आदान प्रदान करने में कम से कम समय लगना चाहिए। पुस्तकें आदान प्रदान करने में ब्राउनी व नेवार्क पद्धति का अनुसरण करना चाहिए। रजिस्टर के द्वारा बहुत समय लगता है। आजकल तो कंप्यूटर द्वारा (बार कोड प्रणाली) से बहुत ही कम समय लगता है।

पुस्तकालय स्थिति (Location of Library): जब पाठक के समय बचाने पर की बात आती है, तो शुरू में ही सोच समझकर पुस्तकालय की स्थापना ऐसे स्थल पर करनी चाहिए जहां पाठकों को आने जाने में कम समय लगे और समय की बचत हो।

संदर्भ सेवा (Reference Service): संदर्भ सेवा भी पाठकों का समय बचाने का कार्य कर दी है। संदर्भ सेवा विभाग के कर्मचारी पाठकों को निर्देश देते हैं व उनकी सहायता करते हैं व पुस्तकों व पाठकों के बीच एक कड़ी का काम करते हैं। पाठकों को इधर-उधर घूमने से बचाकर उनको उनकी पसंद की पुस्तक तक पहुचाकर उनके कीमती समय की बचत करते है।

प्रलेखन सेवाएँ (Documentation Services): पुस्तकालय कर्मचारी पर्दे के पीछे बहुत सारी तेयारियाँ करते हैं जो पाठकों का समय बचाने के लिए की जाती है। सी. ए. एस. (Current Awareness Services) तथा एस. डी. आई. (Selective Dissemination of Information) सेवाएं पाठकों का समय बचाने का कार्य करती है। एस. डी. आई. तो ऐसी सेवा है जहां पाठक को पूरी पुस्तक देखने की जरूरत नहीं होती है बल्कि उनके पसंद की सामग्री तथा इस सेवा को अपने आप मिल जाती है।

अलमारियों की व्यवस्था (Shelf Arrangement): पुस्तकालय में अलमारियों की व्यवस्था क्रमानुसार होनी चाहिए जहां भी चाहे जा सके, पाठक को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए व आकर्षित करने वाला प्रबंधन होना चाहिए। पाठक को किसी भी प्रकार की दुविधा नहीं होनी चाहिए।

निर्देशों का प्रयोग (Use of Stake Guides): पाठक के निर्देश के लिए जगह-जगह पर गाइड निर्देशों का लगाना चाहिए जेसे कौन सा सेक्शन व विभाग कहां पर है, पुस्तकों का क्रम क्या है, कहां पर कौन-कौन सी पुस्तकों तथा विभाग है। इससे पाठकों के समय की बचत होती है।

पांचवा नियम (5th Law)

पुस्तकालय एक वर्धनशील (बढ़ती हुई) संस्था है (Library is a growing origination)

पुस्तकालय एक निरंतर बढने वाली संस्था है समय के साथ पुस्तकालय का संग्रह, पाठक, भवन व कर्मचारी बढ़ते रहते हैं। जैसे शिशु के जन्म से लेकर उसके आकार में वृद्धि होती है साथ ही उसकी बुद्धि का विकास भी होता है व पुरानी चीजों का स्थान नई चीजें लेती हैं। इसी प्रकार पुस्तकालय का आकार निरंतर बढ़ता है साथ में नई-नई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। जब शिशु वयस्क हो जाता है तो फिर विकास रुक जाता है, लेकिन पुस्तकालय में ऐसा नहीं होता।

पुस्तकालय के संग्रह में वृद्धि: पुस्तकालय में हर वर्ष पुस्तके बढती है पुस्तकालय अपने में सबको समा लेता है, पत्र-पत्रिकाओं की भी संख्या साथ मे बढ़ती है। इसलिए पुस्तकालय का निर्माण करते समय इन सभी पहलुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

पाठकों की वृद्धि: पुस्तकालय का पांचवा सूत्र कहता है कि अच्छे पुस्तकालय में हर वर्ष पाठकों की वृद्धि होनी चाहिए। जब पुस्तकालय में पाठकों की वृद्धि होगी तो उनके बैठने के लिए स्थान, पढ़ने के लिए पुस्तकें तथा सेवा देने के लिए कर्मचारीयों की की संख्या मे वृद्धि होगी।

पुस्तकालय आकार में वृद्धि: पुस्तकालय के संग्रह और पाठको की संख्या बढ़ने के साथ-साथ पुस्तकालय का आकार भी बढ़ता है। इसलिए पुस्तकालय भवन बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य में आकार बढ़ाने में कोई परेशानी ना हो।

पुस्तकालय कर्मचारी: जब पुस्तकालय का आकार बढ़ेगा तो उसका बौद्धिक विकास भी होगा चाहिए। यहाँ इसका अर्थ कर्मचारियों की संख्या का नई-नई तकनीकी के साथ बढ़ने से हैं। हमें नए प्रशिक्षित कर्मचारी नियुक्त करने होगे जिससे पुस्तकालय का कार्य सुचारू रूप से चल सके।

पुस्तकालय के पांच नियम पुस्तकालयों के लिए आधारभूत स्तम्भ है। इनका महत्व जब से ये बने है तब से रहा है और आगे भी रहेगा। दुनिया के सभी पुस्तकालय विज्ञान के विद्वानों ने इनको मान्यता दी है।